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सूर्यकुमार भाग 4

कुछ देर बाद

तभी दर्द से कराहती सिसकियां, कुमार के कानों में पड़ती है, कुमार ने आंखें बंद कर देखा, प्रज्ञा को कुछ हुआ है पर वह अपनी, शक्ति को गुप्त रखना चाहता है, इसीलिए वह वह नकाब, निकाल कर पहनता है और प्रज्ञा के पास आकर पूछता है -"क्या हुआ है, तुम्हें"?

"मुझे, पांव में जहरीले सांप ने काट लिया है"! प्रज्ञा ने पांव दिखाते हुए कहा

कुमार ने उसका पांव, अपनी गोद में रखा और अपने मुंह से चुसकर ,उसके पैर का जहर निकालने लगा

"इस जहर से तुम्हें, कुछ नहीं होगा, सूर्यकुमार"! प्रज्ञा ने पूछा

"मुझ में एक हजार, सर्प के जहर सहन करने की शक्ति है, तुम घबराओ मत, तुम्हें कुछ नहीं होगा"! कुमार ने सांत्वना देते हुए कहा

"जब तुम, छूते हो तो एक, अजीब सी शक्ति का एहसास होता है, कौन हो तुम, जो हर मुसीबत में आ जाते हो, कल रात, मेरे कबूतर को बचाया और आज मुझे, बचाने आए हो"? प्रज्ञा ने पूछा

"सूर्यकुमार हूं"!

"प्रज्ञा",,"प्रज्ञा"! नैना ने पुकारा

"नैना आ रही है, मुझे जाना होगा"! कुमार ने जाते हुए कहा

"तेरे पेर में क्या हुआ"?नैना ने पूछा

"कुछ नहीं, अब ठीक हूं, नैना तुम, किसी सूर्यकुमार को जानती हो"? प्रज्ञा ने पूछा

"हां,,,जानती हूं, सूर्यकुमार यादव, क्रिकेट खेलता है"! नैना ने बताया

"अरे,,,वह नहीं यार"?

"फिर कौन"? नैना ने पूछा

"कोई नहीं, चल, चलते हैं"! प्रज्ञा ने उठते हुए कहा

प्रज्ञा अपने बिस्तर पर सूर्यकुमार के ख्यालों में खोई है और सोच रही है, तभी उसे वह बात याद आती है -"नैना आ रही है, अब मुझे जाना होगा"!

"मतलब सूर्यकुमार, नैना को जानता है पर नैना, उसे नहीं जानती है, कैसे पता लगांउ, इस सूर्य कुमार का"!

फिर वह टीवी ऑन करती है और ब्रेकिंग न्यूज़ देखती है -"डाकू खड़क सिंह ने डायमंड पब्लिक स्कूल के सभी बच्चों को अगवा कर लिया है और बच्चों को किसी गुप्त स्थान पर छुपाया है, पुलिस मामले की जांच कर रही है पर अभी तक, बच्चों के बारे में कुछ पता नहीं चला है"!

यह देखकर प्रज्ञा घबरा जाती है और मन में सोचती है -"डायमंड पब्लिक स्कूल में तो दीदी की लड़की, परी भी पड़ती है, अब उन सभी बच्चों को केवल, सूर्यकुमार ही बचा सकता है, अब उसे कहां ढूंढू"! प्रज्ञा ने कहा

तभी नींद में सोए, सूर्य कुमार के कानों में बच्चों के रोने की आवाज सुनाई देती है और उसकी आंखें खुलती है, वह फटाफट कवच-कुंडल और नकाब पहनकर तैयार होता है और फिर शहर की सड़कों पर दौड़ता हुआ, उस गुप्त स्थान पर पहुंचता है, जहां डाकूओ ने बच्चों को छुपा कर रखा है, वहां दो डाकू नीचे पहरा दे रहे हैं, कुमार छुपता-छुपता एक डाकू के पीछे पहुंचता है और उसकी गर्दन पर एक, ऐसे कराटे की मारता है कि, उसकी आवाज भी नहीं निकलती और वह तेड़ी, गर्दन कर, वहीं ढेर हो जाता है, जब उसका दूसरा साथी, उसे बेहोश देखता है तो भागता हुआ, उसके पास आता है और उससे पूछता है -"किसने मारा तुझे"?

"मैंने मारा है"! उसके पीछे से कुमार ने कहा

जैसे ही उसने पीछे पलट कर देखा, कुमार ने उसके सर को गुब्बारा समझ कर फोड़ दिया और वह भी, वही ढेर हो गया फिर कुमार ने धीरे से दरवाजा खोला और देखा, अंदर कोई नहीं है फिर वह अंदर आया और नीचे के कमरों को धीरे से खोलकर चेक किया पर वहां कोई नहीं है! वह सीढ़ियां चढ़ते हुए, ऊपर आया, सीढ़ियां चढ़ते समय उसे चिल्लाने की आवाज सुनाई दी

"डाकू खड़क सिंह मारता कम, पछीटता ज्यादा है, इतना भयानक, कौन बच्चा पादा है, बताओ"? खड़क सिंह ने पूछा

"सरदार,,मुझे लगता है, यह मोटा बच्चा पपादा है"! दूसरे डाकू ने बताया

"डाकू अंकल,,,झूठ मत बोलो, मैंने तो सुबह से कुछ नहीं खाया है, विश्वास नहीं हो तो, मेरा टीफिन चेक कर लो"! मोटे बच्चे ने कहा

"खड़क सिंह का नाम सुनते ही, पसीना छूट जाता है, लफंगो-लुच्चो का ओर पाद निकल जाता है छोटे बच्चों का"! खड़क सिंह ने कहा

"अरे,,डाकू अंकल,,,आप, हमें कब छोड़ोगे"? "मुझे आज पर बहुत जरूरी काम है"! दूसरे लड़के ने पूछा

"क्या जरूरी काम है, शैतानी बच्चे"? खड़क सिंह ने पूछा

"आज मेरी गर्लफ्रेंड का बर्थडे है, उसे विश करना है"! उस बच्चों ने बताया

"हा,,,हा,,,हा,,,वह दोनों डाकू और सभी बच्चे हंसे"!

"यहां कोई लाफ्टर शो चल रहा है, जो तुम सभी हंस रहे हो, पागल बच्चै, तूने मीठी गोलियां बहुत खाई है पर कभी खड़क सिंह की लोहे की गोली नहीं खाई है, अब जुबान चलाई तो जान से मार दूंगा"! खड़क सिंह उस बच्चों को उठाकर फेंका

तभी सूर्यकुमार चीते की रफ्तार से भाग कर, उस बच्चै को कैच कर लेता है और बचा और उठकर कहता है

"बच्चे होते हैं, दिल के सच्चे, इन्हें मारने वाले, मर गए, अच्छे-अच्छे"! कुमार ने कहा

"कौन है तू, अक्ल के कच्चे"? खड़क सिंह ने पूछा

"सबका मददगार, सूर्यकुमार, बुजुर्गों का रक्षक, बच्चों का दोस्त और यारों का यार, सूर्यकुमार, जो मिटाएगा तुम्हारा अहंकार, सूर्यकुमार, भाग जाओ गद्दार, आ गया, सूर्यकुमार"!

सभी बच्चे सूर्यकुमार,,,,सूर्यकुमार,,,चिल्लाने लगे

"गोलियों से भून डालो, इस सूर्यकुमार को"! खड़क सिंह ने अपने साथियों से कहा

सूर्यकुमार ने फटाक से, उन दोनों डाकू से बंदूक छुड़ाई और एक साथ मोड़ दी और बच्चों से कहा -"बच्चों"! "अटैक,, सभी बच्चे, उन दोनों डाकुओं पर अटैक करते हैं, दो बच्चे उन टूटी बंदूक से उन्हें मारते हैं, तो कई बच्चे, उनके हाथ-पांव पर काटने लगते हैं और कई बच्चे, उन डाकुओं पर लटक जाते हैं कुमार खड़क सिंह को मारते हुए कहता है -"छोटे बच्चों को अगवा करता है, उन्हें डराता है, धमकाता है और उन्हें मारता है"!

तभी एक बच्चा जाकर, खड़क सिंह के पिछवाड़े में पेन घुसा देता है और कहता है -"अच्छा किया ना, सूर्यकुमार"!

"हां,,,अब तुम ही निपट लो"! सूर्यकुमार सामने कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है

और देखता है, उन सभी बच्चों ने डाकुओं की बहुत बुरी हालत कर दी है, उनके मुंह पर कालीख पोत दी है, उनके कपड़े फाड़ दिए हैं और मार-मार कर उन्हें घायल कर दिया है और तीनों को रस्सी से बांध दिया है

तब सूर्यकुमार कहता है -"बस बच्चों,  अब इन्हें छोड़ दो, अब बाकी का काम, पुलिस करेगी"!

फिर एक बच्चा कहता है -"सूर्यकुमार, ,तुम, मुझसे दोस्ती करोगे, फिर सभी बच्चे कहते हैं, सूर्यकुमार, हमसे दोस्ती करोगे"!

"हां,,,हां,,,हां,,,आज पहली बार कुमार को तीन बार, हां,  करना पड़ा और उसने कहा -"तुम सभी बच्चों से दोस्ती करूंगा और देखो मैं, तुम्हारे लिए गिफ्ट भी लाया हूं"! कुमार ने हाथ के बेल्ट दिखाते हुए कहा

फिर कुमार सभी बच्चों से हाथ मिलाता है और उन्हें बेल्ट गिफ्ट देता है-"सूर्यकुमार, हम सबके साथ, एक सेल्फी हो जाए, हां,,,सूर्यकुमार, एक सेल्फी हो जाए"! सभी बच्चों ने एक साथ कहा

"पर मेरे पास फोन नहीं है"! सूर्यकुमार ने कहा

"मेरे पास है, एक बच्चे ने कहा"!

फिर सूर्यकुमार ने उन सबके साथ, सेल्फी ली, जिसे खड़क सिंह क्लिक किया

फिर कुमार उस बच्चै के फोन से पुलिस को लगाया ओर कहा -"सभी बच्चे सेफ है, इन्हें आकर ले जाओ, पता और लोकेशन भेज रहा हूं"!

"तुम कौन हो"? पुलिस ने पूछा

"सूर्यकुमार"!

कुछ देर बाद

प्रज्ञा ने न्यूज़ पर देखा

"ब्रेकिंग न्यूज़"! "डायमंड पब्लिक स्कूल के बच्चों को किसी, सूर्यकुमार नाम के सुपर हीरो ने बचा लिया है, आज देश के हर बच्चे के मुंह पर सूर्यकुमार का नाम है, आखिर कौन है यह सूर्यकुमार, यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है, हमारे पास केवल, सूर्यकुमार की एक तस्वीर है, जिसमें सूर्यकुमार ने नकाब से अपना चेहरा, ढक रखा है, सरकार ने सूर्यकुमार को 10 लाख का इनाम देने की घोषणा की है"! यह खबर देखकर, प्रज्ञा ने राहत के साथ ली

कुमार अपने घर पर हाथ-पैर धो रहा है कुछ बच्चे घर के बाहर नारे लगाते जा रहे हैं -"हमारा हीरो, सूर्यकुमार,  हमारा हीरो, सूर्यकुमार"!

"जिधर देखो, उधर सूर्यकुमार, सूर्यकुमार"! माँ ने काम करते हुए कहा

उन बच्चों को देख और अपनी, मां के मुंह से सूर्यकुमार का नाम सुनकर, कुमार को बहुत अच्छा लगता है

सुबह स्कूल में

"प्रज्ञा"! "मैंने सुना है, कल तुम्हें, किसी सांप ने पांव में, चुम्मी दे दी थी"! कुमार ने पूछा

"कुमार"! "आज मजाक नहीं, मैं बहुत टेंशन में हूं"! प्रज्ञा को चिंतित देखकर, कुमार उसका पीछा करता है और देखता है, आज उसका व्यवहार किसी के साथ, भी अच्छा नहीं है और वह सब पर चीड़ रही है और अकेले में बैठी, गहन चिंता में डूबी हुई है

कुमार धीरे से उसके पास आकर बैठा, प्रज्ञा को यह अच्छा नहीं लगा, पर वह चुप रहती है

"ऐसे खुद को सताने से और अपने दोस्तों पर गुस्सा होने से तुम्हारी परेशानी खत्म नहीं हो जाएगी, तुम्हें ऐसे परेशान देखकर, मुझे अच्छा नहीं लग रहा है, सिर्फ इसलिए, क्योंकि तुम, मेरी दोस्त हो"!"प्रज्ञा"! "खुन के रिश्ते तो जन्म के साथ मिल जाते हैं पर दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जिसे हम अपनी खुशी से, अपनी पसंद से, उसकी अच्छाई देखकर, उसकी काबिलियत को परख कर, बेचारे दोस्त को नींबू की तरह, निचोड़कर दोस्त बनाते हैं, फिर उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, हर चीज उसके साथ, मिल बैठकर खाते हैं, हम उसका ख्याल रखते हैं, माता-पिता से किया वादा भूल जाते हैं, पर दोस्त से किया वादा याद रखते हैं, दोस्त हमारा ही तो दूसरा रूप होता है, जिसे दो दोस्त मिलकर एक बनाते हैं, तुम्हारा हंसता, मुस्कुराता चेहरा ही हमारी दोस्ती का वह दूसरा रूप है, जब खुशियां, एक साथ बांट लसकते हैं तो टेंशन क्यों नहीं, बांट सकते, माना मुझे बताने से तुम्हारी टेंशन खत्म नहीं होगी पर वादा करता हूं दोस्त, बताने के बाद वह टेंशन तुम्हारी अकेली की भी नहीं होगी"! कुमार ने कहा

प्रज्ञा को कुमार की बातें बहुत अच्छी लगती है, इसीलिए उसके चेहरे की चिंता सिकन खत्म हो गई है, अब उसके कपाल पर चिंता की कोई लकीर नहीं है, कुमार की बातें सुनकर, उसके मन में धेय्य को धारण कर लिया है और वह सामान्य स्थिति में है, इसीलिए उसने पहले तर्क से, उस बात को कहा, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी

"कौन कहता है"? "तुम मंदबुद्धि हो, तुम पूरी दुनिया को बेवकूफ बना रहे हो, हैना"! प्रज्ञा ने पूछा

"शायद, हाँ,,,,"!कुमार ने शायद शब्द लगाकर पर्दा डालते हुए कहा

"मैं नहीं एक 7 साल की बच्ची, बहुत बड़ी प्रॉब्लम में फस गई है, उसका नाम परी है, मेरी बड़ी दीदी की लड़की है, अब हमारी मदद केवल, सूर्य कुमार ही कर सकता है पर वह कौन है"? कहां रहता है"? कैसा दिखता है"? मुझे कुछ नहीं पता"? प्रज्ञा ने बताया

"तो कुमार और सूर्य कुमार में क्या फर्क है, मैं किसी सूर्यकुमार से कम नहीं हूं, बताओ क्या करना है"? कुमार ने कहा

"तुम में और सूर्यकुमार में जमीन और आसमान का फर्क है, कल जो बच्चों की किडनैपिंग हुई थी, वह एक ट्रैप था, ड्रामा था, एक सोची-समझी साजिश थी, उनका असली मकसद, बच्चों की किडनैपिंग नहीं था, परी थी, परी एक अद्भुत लड़की है, उसकी सोचने की शक्ति, असाधारण है, और सबसे खास बात, उसे भविष्य दिखाई देता है, उसकी हर भविष्यवाणी, सच साबित होती है,संडे को हम मिले थे  तो उसने कहा था  मौसी इस दुनिया पर बहुत बड़ी मुसीबत आने वाली है, वही बच्ची  कल सुबह स्कूल गई थी पर स्कूल नहीं पहुंची  उसे रास्ते मसे ही अगवा कर लिया गया, मुझे यह बात,सूर्यकुमार को बताना है, क्योंकि यह काम करने के लिए, सुपर पावर की जरूरत पड़ेगी, जो हमारे पास नहीं है"! प्रज्ञा ने बताया

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2 Comments

hema mohril

11-Oct-2023 09:35 PM

Excellent part

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Gunjan Kamal

02-Oct-2023 02:44 PM

बेहतरीन भाग

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